संस्कार और संस्कृति की वाहक है राजस्थानी भाषा - रवि पुरोहित
राजस्थानी सिर्फ भाषा नहीं, संस्कार और संस्कृति की संचेतना की वाहक है। राजस्थानी से ही हमारी वैयक्तिक पहचान है। ये विचार साहित्यकार रवि पुरोहित ने अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन, कोलकाता द्वारा हिंदुस्तान क्लब में सीताराम रूंगटा राजस्थानी साहित्य सम्मान अर्पण के अवसर पर व्यक्त किए । पुरोहित ने कहा कि बोलियां और भाषाएं तो बनती-बिगड़ती रहती हैं पर जो रक्त बन धमनियों में बहने लगी हो, उसे शासकीय मान्यता भला कब तक रोकेगी। लोक का अहसास और संवेदना का अविभक्त अनुरागी हिस्सा बन जाने के कारण ही यह आज जन-जन की वाणी बनी हुई है। हरियाणा, गोवा प्रदेशों सहित अनेक उदाहरण रखते हुए उन्होनें कहा कि राजनैतिक उदासीनता को लोक भावना के समक्ष आख़िर
झुकना ही होगा।इससे पूर्व सम्मेलन द्वारा भव्य समारोह में पुरोहित को उनकी राजस्थानी साहित्य सेवा के लिए 21 हजार रुपये की नगद राशि, सम्मान-पत्र, शॉल, श्रीफल और सम्मेलन का मोमेंटो प्रदान कर मूर्धन्य साहित्यजर गीतेश शर्मा, भारत चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष सीताराम शर्मा, नंदलाल रूंगटा, डॉ. हरिप्रसाद कनोड़िया, संतोष सर्राफ, गोपाल झुनझुनवाला और चयन समिति के अध्यक्ष रतन शाह ने सम्मानित किया। पुरोहित को इससे पूर्व साहित्य अकादमी, दिल्ली का अनुवाद पुरस्कार, राजस्थान साहित्यिक अकादमी, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, राजस्थान सरकार, राजस्थान रत्नाकर, गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार, हिंदी साहित्य संसद, नगर विकास न्यास सहित देश-प्रदेश की अनेक संस्थाओं से पुरस्कृत-सम्मानित किया जा चुका है। इंटरनेशनल पॉइटिक प्रोजेक्ट, पौलेंड में भी संभागी रहे पुरोहित की हिंदी-राजस्थानी की विभिन्न विधाओं की 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
रिपोर्ट शिवानी पुरोहित
No comments:
Post a Comment